मंदसौर:
पत्रिका समूह के ६७ वे स्थापना दिवस को लेकर चल रही कार्यक्रमों की श्रृंखला में शनिवार को पत्रिका कार्यालय पर काव्य गोष्ठि का आयोजन हुआ। इसमें शहर के ख्यातमान कवियों व कवियत्रियों ने काव्य पाठ करते हुए साहित्यिक रचनाओं की प्रस्तुतियां दी। होली से लेकर कोविड और वर्तमान राजनीतिक से लेकर समाज के साथ भाषाओं पर कविताओं व व्यंगों की प्रस्तुतियां दी। दो घंटे से अधिक समय तक चली काव्य गोष्ठियों में साहित्यिक हस्तियों ने बारी-बारी से अपना काव्य पाठ किया। होली व रंगों के उत्साह से लेकर समाज व देश की वर्तमान जरुरतों को अपने काव्यपाठ के माध्यम से प्रस्तुति किया। कार्यक्रम का संचालन ब्रजेेश जोशी ने किया।
उगले सूरज का प्रतिमा है पत्रिका
उगते हुए सूरज का प्रतिमान है पत्रिका, ६६ वर्षों पहले कुलिश जी ने अपने अथक परिश्रम से कुलिश जी ने रोपा था नन्हा पौधा, आज गुलाब जी के हाथों, गुलाब की खुशबू बनकर महक रहा है। समाज, संस्कृति सामाजिक सरोकार को लेकर पत्रिका अपने आप में अनुठा है, क्योंकि पत्रिका सच का आईना है। समय-समय पत्रिका ने सच की आवाज उठाई है। जनजागृति की अलख जगाई है। साहित्य खेल, राजनीति आर्थिक मुद्दें व्यवस्थाओं पर राष्ट्रीय चिंतन की नई इबादत दिन प्रतिदिन कलम स्याही से स्वर्णिम लिखी है। संस्कृति पुरातत्व को जिंदा रखने की शब्दों में पुरजोर कोशिश की है। दिन प्रतिदिन इसका विस्तार महासमुद्र है। रोशनी की मशाल जलाई है, लोकतंत्र का प्रहरी पत्रिका बस अपना स्थापना दिवस यूं ही मनाता रहे। शताब्दी वर्ष हो उत्सव पत्रिका का जल्दी ले बस दुआएं व शुभकामनाएं है। -लालबहादुर शास्त्री, कवि दिल से हम दिल मिलाए खुशियों के गीत गाए शायर असद अंसारी ने कहा कि कागज का ये नशा टुटने को है यह आखरी सदी है अखबारों से इश्क की। दिल से हम दिल मिलाएं और खुशियों के गीत गाए, खुलती है बंध जाती है और रद्दी हो जाती है जिंदगी अखबार से होती है। सहित अन्य प्रस्तुतियां दी।
सामाजिक सरोकार व जनहित के मुद्दों को उठाया
वहीं कवि कैलाश जोशी ने कहा कि पत्रिका ने अपनी यात्रा में जनहित मुद्दों को अपने अभियान के साथ उठाया है तो सामजिक सरोकार से लेकर जनता से जुड़े हर मुद्दें को तीखे तेवर के साथ उठाया है। उन्होंने कोविड और उस दौर के हालातों को लेकर कविता पाठ किया।
साहित्य के प्रसंगों से बढ़ाया उत्साह
साहित्यकार ब्रजेश जोशी ने काव्य गोष्ठी के दौरान शहर के साहित्यकारों से लेकर अन्य कई साहित्यक गतिविधियों के बारें में बताया। तो वहीं मंदसौर में पत्रिका के आने से पहले भी मंदसौर से जुड़ी पत्रिका की खबरों को लेकर असर और पत्रिका की खबरों के अलग अंदाज को लेकर भी उन्होंन बताया तो कई काव्य पाठ भी किए।
बसंत की बयार का नहीं छूटा मोह
डॉ निशा महराणा ने कहा कि बचपन की यादों में होली की अद्भुत याद है। बसंत की बयार का नहीं छुटा है मोह बचपन का वह फाल्गुन है कई रंगों से रंग जाता था सफेद बनियान, खुशी और उमंग और सखी का संग, अतीत की यादें होली की यादों को लेकर आई है। अपनों से दूर क्या हुए मौसम बदल गया है। भविष्य के द्वार पर खुशियां खिलखिलाई है। रंगों को साथ लेकर कोरोना को मात देकर होली आई है। आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर भी क्रांतिकारियों व देशभक्ति को लेकर कविता पाठ किया। तोड़ गुलामी की जंजीरें स्वतंत्रता हमें दिलाई, क्रांतिकारियों का बलिदान रंग लाया था। जब भारत मां के रणबांगुरों ने विजय की धुम मचाई थी। भारत मां के भाल पर तिरंगा लहराया था। साहस और शील हर ह्दय में गहराया था।
अपने अस्तित्व को आधार बचा कर रखा है धरा ने
हर बाढ़ के बाद नदियां, उपजाऊ बना जाती हैं मिट्टी, हर सूखे के बाद बारिशें धो देती है अवसाद, आकाश की नीली ओढऩी, रात के स्याह बदन को, नहीं रहने देती अनावृत, धूप पहाड़ों पे सुस्ताती, भर देती है, देह में ऊष्मा औसारों पे धान कूटती स्त्रियों की हर बार थक कर, गिर कर घुटने तुड़ा बैठा सांवला बच्चा फिर से खड़ा हो जाता है धरती की कोख में विश्वास के बीज हमेशा पनाह पाते हैं। अपने अस्तित्व का आधार को बचा कर रखा है धरा ने -आरती तिवारी, कवियत्री
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