रामानंद सागर के सीरियल रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल आज भी घर-घर में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम से जाने जाते हैं. वैसे तो अब तक कई रामायण सीरियल बने और कई ने राम का किरदार निभाया, लेकिन अरुण गोविल ने राम के किरदार में अपनी जो छाप छोड़ी, वैसी पहचान कोई दूसरा नहीं बना सका। अरुण गोविल ने एक्टिंग में करियर की शुरुआत 1977 में पहेली फिल्म से की थी। इन्होंने सावन को आने दो, सांच को आंच नहीं, इतनी सी बात, हिम्मतवाला, दिलवाला, हथकड़ी और लव-कुश जैसी कई बॉलीवुड फिल्मों में अहम भूमिका निभाई। लेकिन अरुण गोविल को असली पहचान 80 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले रामायण सीरियल से मिली।
1987 में डीडी नेशनल पर प्रसारित होने वाले इस शो के 10 करोड़ दर्शक थे। वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास के रामचरितमानस पर आधारित इस शो के प्रसारित होने का इंतजार हर घर में होता था। इस धारावाहिक की लोकप्रियता इस कदर थी कि लोग इस शो के कलाकारों को असली भगवान समझने लगे थे। शो में भगवान राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल तो सच में भगवान राम ही लगते थे। आज भी लोग उन्हें उसी किरदार से जानते हैं। कुछ समय पहले अरुण गोविल ने एक किस्सा बताया था। जब वह सिगरेट पी रहे थे तो उन्हें एक शख्स ने कैसे डांट लगाई थी।
बीते समय कपिल शर्मा के शो में रामानंद सागर (Ramanand Sagar) की 'रामायण' की स्टारकास्ट पहुंची थी। देखकर उन सभी लोगों की यादें जरूर ताजा हो गईं, जिन्होंने उस दौर की रामायण को टीवी पर देखा था। ये वो दौर था, जब लोग इतने भावुक हो गए थे कि टीवी के सामने अगरबत्ती और माला चढ़ाने लगे थे। यही नहीं बहुत जगह तो लोग चप्पलों को उतारकर और सिर पर कपड़ा रखकर ये देखा करते थे। रामायण का इतना क्रेज था कि सड़कें खाली हो जाती थीं और दुकानों पर सन्नाटा पसरा रहता था।
बता दें कि अरुण गोविल राम के रोल से इतने फेमस हो गए थे कि कई बार लोग शूटिंग के दौरान उनसे आशीर्वाद लेने सेट पर ही पहुंच जाते थे। ये बात खुद उन्होंने एक इंटरव्यू में बताई थी। इतना ही नहीं, लोग टीवी पर शो शुरू होते ही फूलों की माला चढ़ाते थे। अगरबत्ती और धूपबत्ती लगाकर हाथ जोड़ बैठ जाते थे। एक्टिंग से दूर होने पर अरुण ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें रामायण में राम का रोल करने के बाद कभी कोई अच्छा रोल ऑफर नहीं हुआ। इसका परिणाम ये हुआ कि उनका एक्टिंग करियर खत्म हो गया। उन्हें इस बात का बहुत दुख है। भले ही 'रामायण' को टीवी पर प्रसारित हुए लगभग तीन दशक हो गए हों लेकिन अरुण आज भी टीवी के राम के रूप में ही पहचाने जाते हैं।
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