Mamata Cabinet: बीजेपी के लिए ममता की बड़ी चाल? पश्चिम बंगाल में कैब‍िनेट विस्‍तार के पीछे की गणि‍त समझ‍िए

पश्चिम बंगाल में कैबिनेट विस्तार ममता बनर्जी का लोकसभा चुनाव को देखते हुए बड़ा दांव बताया जा रहा है। कहा जाने लगा है कि लोकसभा चुनाव के लिए टीएमसी अभी से तैयारी में जुट गई हैं। ममता ने जो 9 नए मंत्री बनाएं हैं, वे उस क्षेत्र से विधायक हैं जहां सांसद बीजेपी के हैं।

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हाइलाइट्स

  • ममता बनर्जी ने मंत्रिमंडल में शामिल किए 9 चेहरे
  • खास बात है कि सारे मंत्री उस इलाके से जहां बीजेपी का संसदीय क्षेत्र
  • ममता ने 2024 के लोगसभा चुनाव में बीजेपी के लिए बिछाई बिसात
  • बंगाल में बीजेपी के पोस्टर बॉय बाबालु सप्रियो को भी प्राथमिकता
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कैबिनेट में बड़ा फेरबदल किया है। बुधवार को बाबुल सुप्रियो समेत नौ विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमें पांच कैबिनेट मंत्री, दो स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री और दो राज्य मंत्री हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अभी तक इन मंत्रियों के लिए विभागों की घोषणा नहीं की है। ममता की नई टीम में दुगार्पुर-पूर्व से तृणमूल कांग्रेस के विधायक प्रदीप मजूमदार भी शामिल हैं। पश्चिम बंगाल में तृणमूल के सत्ता में आने के बाद से मजूमदार राज्य सरकार के प्रमुख कृषि सलाहकार के रूप में काम कर रहे थे। वे बनर्जी के करीबी विश्वासपात्र हैं। यह कैबिनेट विस्तार ममता बनर्जी का लोकसभा चुनाव को देखते हुए बड़ा दांव बताया जा रहा है। कहा जाने लगा है कि लोकसभा चुनाव के लिए टीएमसी अभी से तैयारी में जुट गई हैं। नया मंत्रिमंडल इसी तैयारी का एक बड़ा हिस्सा है। ममता ने जो 9 नए मंत्री बनाएं हैं, वे उस क्षेत्र से विधायक हैं जहां सांसद बीजेपी के हैं।

टीएमसी ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर क‍िलेबंदी शुरू कर दी है। पार्थ चटर्जी के ईडी की गिरफ्त में फंसने के बाद ममता की छवि धूमिल हो रही थी। कहा जा रहा था कि अब WBSSC Scam का असर लोकसभा चुनाव पर होगा, इसके लिए ममता ने यह दांव खेला है और बीजेपी सांसद की सीटों से विधायकों को मंत्री पद देकर आम चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी हैं।

बीजेपी के 'पोस्टर बॉय' को तोहफा
गायक से नेता बने बाबुल सुप्रियो पश्चिम बर्दवान जिले के आसनसोल से दो बार बीजेपी के लोकसभा सदस्य थे। कभी बंगाल में बीजेपी के ‘पोस्टर बॉय’ रहे सुप्रियो तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने से पहले नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके थे। बाद में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के साथ सुप्रियो के संबंधों में खटास आने लगी और उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटा दिया गया। मंत्री पद से हटाए जाने से आहत सुप्रियो ने कहा था कि वह राजनीति ‘छोड़’ देंगे। बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच सुप्रियो ने 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी छोड़कर तृणमूल में शामिल हो गए। वह इस साल की शुरुआत में बालीगंज के उपचुनाव में चुने गए। कैबिनेट में फेरबदल के बाद अब सभी की निगाहें विभागों के आवंटन को लेकर है। इसमें कुछ मौजूदा मंत्रियों को उनके विभागों से हटाया जा सकता है।

लगातार 3 बार से विधायक स्नेहाशीष
स्नेहाशीष चक्रवर्ती जंगीपारा विधानसभा से विधायक हैं। वह इस सीट से 2011 से लगातार तीन बार विधायक चुने गए हैं। जंगीपारा विधानसभा सीट हुगली जिले में आती है। हुगली संसदीय सीट से बीजेपी की लॉकेट चटर्जी सांसद हैं। इससे पहले यह लोकसभा सीट दो बार टीएमसी के पास रही है। दोनों बार टीएमसी की रत्ना डे सांसद चुनी गई थीं।

अर्जुन सिंह की संसदीय सीट पर नजर
ममता बनर्जी ने पार्थ भौमिक को मंत्री बनाया है। पार्थ नौहाटी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। पार्थ 2011 से लगातार तीन बार विधायक चुने गए हैं। यह विधानसभा बैरकपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है। इस सीट से 2019 में बीजेपी के अर्जुन सिंह सांसद बने। इससे पहले 2009 और 2014 में टीएमसी के दिनेश त्रिवेदी लगातार दो बार सांसद चुने गए थे।

उदयन गुहा को क्यों मिला इनाम?
उदयन गुहा को भी मंत्री बनाया गया है। गुहा दीनहाता विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। यह क्षेत्र कूच बिहार संसदीय क्षेत्र में आता है। 2019 लोकसभा चुनाव में यहां से भारतीय जनता पार्टी के निसिथ प्रमाणिक सांसद चुने गए थे। पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा शासन में कृषि, कृषि विपणन और सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजिनियरिंग के मंत्री स्वर्गीय कमल गुहा के पुत्र, उन्होंने 2011 में दिनहाटा से अपने पिता की पार्टी, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के विधायक के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। हालांकि, 2016 के विधानसभा चुनावों से पहले, वह तृणमूल में चले गए, जिसने उन्हें दिनहाटा से ही मैदान में उतारा और वे जीत गए। हालांकि, 2021 के विधानसभा चुनाव में गुहा को कूचबिहार से मौजूदा भाजपा सांसद निशीथ प्रमाणिक से हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, प्रमाणिक ने सांसद बने रहने का विकल्प चुना और दिनहाटा विधायक के रूप में इस्तीफा दे दिया, जिससे उपचुनाव की आवश्यकता हुई, जिसे गुहा ने जीत लिया।

बर्दवान दुर्गापुर लोकसभा सीट पर इसलिए ममता की नजर
प्रदीप मजूमदार दुर्गापुर पूर्व विधानसभा सीट से विधायक हैं। खासबात है कि प्रदीप ने यह सीट मजह 3 पर्सेंट ज्यादा वोटों से जीती थी। बीजेपी प्रत्याशी दीपांशु चौधरी और प्रदीप मजूमदार के बीच कुछ ही वोटों का अंतर था। यह सीट बर्दवान दुर्गापुर संसदीय क्षेत्र में आती है। यहां से 2019 लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी के एसएस अहलूवालिया ने जीता था। अहलूवालिया की जीत भी महज 2439 वोटों से ही हुई थी। ममता बनर्जी जानती हैं कि थोड़ा सा जोर लगाने से यह सीट वापस उनके पास आ सकती है। शायद इसीलिए उन्होंने यहां की विधानसभा सीट से विधायक को मंत्री पद दिया है।

बीजेपी से सीट छीनने का दांव
तजमुल हुसैन को भी ममता सरकार में मंत्री बनाया गया है। हुसैन हरीशचंद्रपुर विधानसभा से विधायक हैं। इस सीट की खासबात है कि तजमुल हुसैन की जीत बंपर वोटों से हुई थी। उन्हें जहां 122527 वोट मिले थे, वहीं बीजेपी प्रत्याशी मोहम्द मतिउर रहमान को महज 45054 वोट ही मिले थे। हरीशचंद्रपुर विधानसभा सीट मालदा उत्तर संसदीय क्षेत्र में आती है। यह सीट 2009 और 2014 में कांग्रेस के पास थी। यहां से मौसम नूर सांसद रहे। यहां से 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खगेन मुर्मू ने जीत हासिल की थी। बीजेपी से यह सीट छीनने के लिए ममता ने दांव खेला है।

सत्यजीत के सहारे पार होगी रायगंज लोकसभा?
सत्यजीत बर्मन हेमताबाद विधानसभा से विधायक हैं। 2021 से पहले यह सीट सीपीआईएम के पास थी। सत्यजीत ने बीजेपी के चंदिमा रॉय को भारी मार्जन से हराया था। यह विधानसभा सीट रायगंज लोकसभा क्षेत्र में आती है। यहां से 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की देबश्री चौधरी ने जीत हासिल की थी। देबश्री चौधरी ने टीएमसी प्रत्याशी कन्हैया लाल अग्रवाल को बहुत ही कम वोटों से हराया था।

बीरबाहा पर ममता ने लगाया इसलिए दांव

ममता बनर्जी ने बीरबाहा हंसदा को स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाया है। सुकुमार हंसदा बांग्ला फिल्मों की अभिनेत्री रह चुकी हैं। वह झारग्राम से विधायक हैं। 2011 में और 2016 में भी इस सीट से सुकुमार हंसदा ही विधायक चुने गए थे। सुकुमार की 2020 में कोविड से मौत हो गई ती। उसके बाद बीरबाहा हंसदा इस सीट से विधायक बनीं। यह सीट झारग्राम संसदीय क्षेत्र में आती है। 2014 में यह विधानसभा सीट टीएमसी के पास थी। 2019 लोकसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के कुंवर हेम्ब्रम सांसद बने। हेमब्रम महज 2 पर्सेंट से भी कम मार्जन से चुनाव जीते थे।

सुवेंदु के भाई का तलाश रहीं विकल्प?
ममता बनर्जी ने बिप्लब रॉय चौधरी को मंत्री बनाया है। पंसकुरा पूर्ब विधानसभा सीट से विधायक हैं। ये सीट तामलुक संसदीय क्षेत्र में आती है। यहां से कभी ममता के करीबी रहे सुवेंदु अधिकारी के भाई दिव्येंदु अधिकारी सांसद हैं। सुवेंदु भले ही बीजेपी में चले गए हैं लेकिन दिव्येंदु टीएमसी में जा सकते हैं। ममता बनर्जी उनकी विकल्प तैयार करने का प्रयास कर रही हैं।

दल बदल कर आए विधायकों को बनाया हथियार!
पश्चिम बंगाल सरकार में तृणमूल कांग्रेस ने जिन 9 विधायकों को मंत्री के रूप में शामिल किया गया था, उनमें से तीन दलबदलू राजनेता हैं जो बाद में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। उनमें से सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण गायक से नेता बने बाबुल सुप्रियो है। इसके बाद दूसरा नाम कूचबिहार जिले के दिनहाटा विधानसभा क्षेत्र के पार्टी विधायक उदयन गुहा का है। सुप्रियो और गुहा दोनों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।

तीसरा टर्नकोट मालदा जिले के हरिश्चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र से तजमुल हुसैन का था। हरिश्चंद्रपुर से दो बार ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के विधायक हैं। वह गुहा की तरह, 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल में शामिल हुए थे। उन्होंने 2016 में हरिश्चंद्रपुर से तृणमूल उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन कांग्रेस के आलम मोस्ताक से हार गए। 2021 में हरिश्चंद्रपुर से चुने गए उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया है।
Cabinet Rank For Ex-BJP MP Babul Supriyo As Mamata Banerjee Revamps Team
ममता बनर्जी कैबिनेट विस्तार की रणनीति

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