हरिद्वार पुलिस को त्रिपुरा का रहने वाला एक लड़का बैग के साथ रोते हुए मिला। उसे अपने घर का पता नहीं मालूम था। उसे हिंदी और अंग्रेजी भाषा भी नहीं आती थी। इस दौरान लड़का केवल उस स्कूल का नाम बता सका, जहां वह पढ़ता था। इसके आधार पर पुलिस ने उसके परिवार का पता लगा लिया।

पुलिसकर्मी ने बताया कि बच्चे को सहज महसूस कराने के लिए दो महिला अधिकारी पूनम प्रजापति और रेणु चौहान सिविल ड्रेस में उसके पास रहीं। उन्होंने बच्चे को गिफ्ट्स भी दिए। इसके बाद वह थोड़ा शांत हुआ और उसने बात भी करने की कोशिश की। हालांकि, वह सिर्फ हदराई राधामाधव हाई स्कूल ही बोल सका। अधिकारी ने कहा कि मैंने स्कूल का नाम गूगल पर खोजा तो पता चला कि यह त्रिपुरा के तेलियामुरा में है।
शर्मा ने कहा कि हमने तेलियामुरा के एसएचओ सुबिमल बर्मन को फोन किया और उन्हें स्थिति से अवगत कराया। लड़के का एक वीडियो भी उनके पास भेजा। बर्मन ने लड़के की भाषा समझ ली और अपनी टीम को उसके माता-पिता के बारे में पता लगाने के लिए लगा दी। तेलियामुरा पुलिस बच्चे के परिवार का पता लगाने में कामयाब रही। शाम तक बच्चे की उसके माता-पिता से वीडियो कॉल पर बात कराई गई। मां-पिता तो देखते ही बच्चा फूट पड़ा और उनसे घर वापस ले जाने का आग्रह करने लगा।
बर्मन ने बताया कि लड़का एक आदिवासी समुदाय से है और केवल कोकबोरोक बोलता है। यह त्रिपुरा और बांग्लादेश के कुछ सीमावर्ती इलाके में बोली जाती है। लड़के का नाम शांतनु जामतिया है और उसके पिता का नाम शिबसाधन जामतिया है। शहर से दूर उसके माता-पिता के एक गांव में दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। पिता की सहमति से लड़के को 8 जुलाई को हरिद्वार के वात्सल्य वाटिका में एक एनजीओ संचालित स्कूल में भेज दिया गया था। यहां शांतनु की पढ़ाई का सारा खर्च एनजीओ उठाती थी।
स्कूल के एक कर्मचारी नंदलाल वर्मा ने बताया कि जामतिया के माता-पिता हरिद्वार के लिए रवाना हो गए हैं। वे यहां अधिकारियों से मिलेंगे और तय करेंगे की आगे क्या करना है? अभी के लिए शांतनु स्कूल लौट आया है और ठीक है।
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