Afghanistan crisis: नकदी संकट के कारण लोग घरों का सामान बेचने को मजबूर, यूएन ने राहत की अपील की

नई दिल्ली। तालिबान (Taliban) की राजधानी काबुल (Kabul) पर 15 अगस्त को नियंत्रण के बाद से अफगानिस्तान नकदी संकट से जूझ रहा है। विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और अमरीका में स्थित उसके केंद्रीय बैंक ने अफगानिस्तान तक उसकी आर्थिक सहायता पहुंचने से रोक दिया है।

पूरे अफगानिस्तान में बैंक कई दिनों से बंद थे और एटीएम मशीनें खाली हैं। अब बैंक खुल गए हैं लेकिन नगदी के इंतजार में लोग लंबी कतारों में खड़े देखे गए।

लोग अपना गुजारा चलाने के लिए सामान बेचने को मजबूर हैं। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बड़ी संख्या में लोग भोजन और बुनियादी जरूरत की चीजों को लेकर भारी नुकसान पर अपने घरों के सामान बेच रहे हैं।

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घरों का सामान बेचने को मजबूर

काबुल के मुख्य बाजार चमन-ए-होजोरी में सैंकड़ों लोग रोजाना रेफ्रिजरेटर, कुशन, पंखे, तकिए, कंबल, पर्दे, बिस्तर, गद्दे, बर्तन, चांदी का सामान बेचने के लिए पहुंच रहे हैं। वहीं दुकान में माल भरे होने के बावजूद कई दुकानदार को लाभ नहीं कमा पा रहे हैं। वहीं देश में महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। रोजमर्रा के कई सामनों की देश में किल्लत हो रही है।

सुरक्षा की तत्काल जरूरत

बीते हफ्ते जारी एक रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी थी कि 2022 के मध्य तक 97 प्रतिशत से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा से नीचे नीचे जा सकती है। अफगानिस्तान में भोजन, दवा, स्वास्थ्य सेवाओं, सुरक्षित पानी, स्वच्छता और सुरक्षा की तत्काल जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और गैर-सरकारी भागीदारों ने अफगानिस्तान के 11 मिलियन लोगों राहत पहुंचाने के लिए 606 मिलियन अमरीकी डालर को एकत्र करने की अपील शुरू की है।

संयुक्त राष्ट्र आगे आया

अफगानिस्तान को संकट से निकालने के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने सोमवार को एक उच्च स्तरीय मानवीय सहायता सम्मेलन को संबोधित किया। इस उद्देश्य अफगानिस्तान को आर्थिक मदद पहुंचाना है। इसमें लगभग एक तिहाई खाद्य मदद भेजी जाएगी। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने अफगानिस्तान के लिए 20 मिलियन अमरीकी डॉलर के आवंटन का ऐलान करा है।

इस दौरान गुटेरेस ने कहा, "अफगानिस्तान के लोगों को एक जीवनरेखा की जरूरत है। दशकों के युद्ध, पीड़ा और असुरक्षा के बाद वे शायद अभी सबसे खराब स्थिति का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उनके साथ खड़े होने का आग्रह किया है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आगाह करा कि ‘समय कम है और अफगानिस्तान में घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं।

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