फिल्म धूम-2 जब रिलीज हुई तो इससे प्रभावित होकर चार दोस्तों ने रची एक बैंक को खाली करने की साजिश। मकसद था करोड़ों रूपये लूटकर अमीर बनना। इन चारों के निशाने पर था केरल के मल्लापुरम का एक बैंक। चलिए जानते हैं कैसे चार दोस्तों ने फिल्मी स्टाइल में बैंक को लूट लिया।
आज बस आखिरी रात थी, चारों बेहद बैचेन लेकिन आंखों में कई सपने। समीर और शेखर अपने-अपने कमरे में जा चुके थे लेकिन जोसेफ की तीसरी पार्टनर काजल की आंखों से तो नींद ही गायब थी। "जोसेफ कल के बाद हमारे पास करोड़ों रूपये होंगे, हम अमीर बन जाएंगे" काजल ने जोसेफ से कहा। "हां लेकिन तब जब सबकुछ सही से हो जाए"...
29 दिसंबर 2007
दिन शनिवार
हर तरफ नए साल के स्वागत की तैयारियां चल रही थीं। केरला मल्लापुरम भी इस जश्न के माहौल में सराबोर था। यहीं एक भीड़ भरे मार्केट में रह रह थे जोसेफ और उसके चारो दोस्त। इस हफ्ते उन्होंने ग्राउंड फ्लोर के एक रेस्टोरेंट को किराए पर लिया। 50000 रूपये एडवांस भी दिए और फिर चारों इस रेस्टोरेंट में आकर रहने लगे। प्लान था रेस्टोरेंट के ऊपर मौजूद बैंक को लूटना। इन चारों ने इस काम से पहले रेकी, जिसमें इन्हें पता चला कि बैंक में लाखों रूपये का सोना और करोड़ों रूपये कैश भी है।
जोसेफ और उसके गैंग का इरादा था कि वो 2008 के पहले पहले करोड़पति बन जाएं इसलिए उन्होंने आज की रात को चुना। इन चारों ने तैयारी तो पहले ही शुरू कर दी थी। रेस्टोरेंट के बाहर नया फर्नीचर मंगा लिया गया था और रेस्टोरेंट के बाहर लिखा था - 'Opening Soon' यानी जल्द रेस्टोरेंट खुलने वाला है। एक हफ्ते पहले से ही ये चारों इस रेस्टोरेंट के अंदर डेरा जमा चुके थे। आज की रात इन चारों की ज़िंदगी की सबसे अहम रात होने वाली थी। शाम का समय था। काजल ने पास ही के रेस्टोरेंट से खाना ऑर्डर किया। चारों बिना कुछ बोले खाना खाने लगे। बस चंद घंटे बचे थे ऑपरेशन रॉबरी के।
11.30 बजे बाज़ार में पूरी तरह से सन्नाटा छा गया था। सभी लोग अपनी दूकाने बंद करके चले गए थे। शेखर ने एक रेस्टोरेंट से बाहर जाकर देखा आसपास एकदम सन्नाटा था। चारों रेस्टोरेंट के अंदर एक जगह इकट्ठा हुए। एक दूसरे की पीठ पर हाथ मारा और फिर चारों अंदर की तरफ बढ़ गए। अंदर एक छोटा रूम था। काजल थोड़ी दूर पर रखे कुछ औजार लेकर आई। शेखर ने पास ही मौजूद सीढ़ी को खड़ा किया और जोसेफ उसपर चढ़ने लगा। जोसेफ ने गैस कटर मांगा। "हमे एक घंटे के पहले इस छत पर इतना बड़ा छेद बनाना होगा ताकि मैं और शेखर ऊपर जा सके"। गैस कटर की मदद से जोसेफ ने छत पर छेद करना शुरू किया। थोड़ी देर में ऊपर का फ्लोर नज़र आने लगा। ये वो फ्लोर था जहां बैंक का स्ट्रांग रूम था यानी वो जगह जहां बैंक की सारी सारी नकदी और सोना रखा गया था।
"शेखर तुम जल्दी ऊपर आ जाओं। समीर तुम गेट के पास ही खड़े रहोगे ताकी अगर कोई गड़ बड़ हो तो तुरंत अलर्ट करोगे... काजल जो सामान हम ऊपर से नीचे डालेंगे उसे तुम्हें बैग में भरना होगा"। सारी हिदायतें देकर शेखर और जोसेफ ऊपर जा चुके थे। सीलिंग में इतना बड़ा छेद किया गया था कि आसानी से वो ऊपर पहुंच गए। गैस कटर उनके पास था। गैस कटर के अलावा कुछ पेचकस, चाकू,छोटे-मोटे औजार और 3 कपड़े के बैग। शेखर और जोसेफ अब स्ट्रांग रूम में थे। उन्हें बस एक तिजोरी को तोड़ना था और उनकी मंजिल सामने थी।
गैस कटर की मदद से दोनों ने मिलकर तिजोरी को काट डाला। "कितना सारा पैसा है जोसेफ यहां" नोटो को ढेर से गड्डी को उठाते हुए शेखर ने कहा। "शेखर ये सब हमारा है, पहले इस सारे पैसे को बैग में भरन होगा" दोनो नोटों की गड्डियां अपने बैग में भरने लगे। 1000,500,100 सारी करंसी अपने दोनों बैग में भर डाली। दूसरी तरफ सोना रखा गया था। सोना देखते ही जोसेफ की आंखों में चमक आ गई। दोनों ने सोने को भी अपने बैग में भरना शुरू किया।
अब पैसे और सोने से चारों बैग भर चुके थे। शेखर ने काजल ऊपर से ही आवाज़ लगाई। "काजल में बैग नीचे डाल रहा हूं"..एक, दो , तीन, चार बैग एक-एक करके नीचे डाल दिए गए। चारों बैग सोने चांदी और करंसी से भरे हुए थे। काजल ने इन कपड़े के बैग्स को बड़े बैग में डालना शुरू किया।सीढ़ियों की मदद से नीचे आ चुके जोसेफ ने पूछा- 'समीर बाहर सबकुछ ठीक है न, कोई गड़बड़ तो नहीं'... "नहीं सब ठीक है"। अब चारों तैयार थे। यहां से निकलने के लिए। काजल सारा सामान उठा चुकी थी। रात के साढ़े तीन बज रहे थे, चारों बाहर आए। दो बैग काजल के पास थे और दो बैग समीर के पास। जोसेफ रेस्टोरेंट को बाहर से ताला लगाया। एक बाइक पर शेखर और समीर बैठ गए, दूसरी बाइक में जोसेफ और काजल। चारों ने रेस्टोरेंट के बाहर लगे बोर्ड की तरफ देखा जिसमें लिखा था 'ओपनिंग सून', चारों मुस्कुराएं और फिर फरार।
31 दिसंबर
दिन सोमवार
सुबह के नौ बजे बैंक खुला तो बैंक कर्मचारी हैरान थे। पूरा बैंक खाली था। बाहर से ताला बंद लेकिन अंदर बैंक खाली। बैंक मैनेजर के होश उड़ गए। तुरंत पुलिस को खबर दी। बैंक से 80 किलो सोना और अस्सी लाख रूपये चुरा लिए गए थे। हर कोई हैरान था क्योंकि पूरा बैंक बंद था। ये चोरी शनिवार देर रात कोई हुई। रविवार के दिन बैंक बंद था इसलिए किसी को कुछ पता नहीं चल पाया लेकिन सोमवार की सुबह ये खबर पूरे इलाके में फैल गई। बैंक में पहुंची पुलिस के भी होश उड़ गए। ये केरल की अब तक की सबसे बड़ी लूट थी। ा
तुरंत इस मामले में कई टीम गठित की गई ताकी लुटेरों को पकड़ा जा सके। केरला पुलिस एडीजी के एस जंगपंगी की निगरानी में मल्लापुरम के तत्कालीन एसपी विजयन, डीएसपी के के इब्राहिम ने कमान संभाली। इंसपेक्टर विक्रमन, इंस्पेक्टर एम पी मोहनचन्द्रन, सब इंसपेक्टर अनवर हुसैन की एक टीम गठित की गई।
सबसे पहले पुलिस ने बैंक के आसपास उन लोगों से मुलाकात की जो लुटेरों को पिछले कुछ दिनों से देख रहे थे। इस आधार पर बैंक लुटेरों का स्केच तैयार किया गया। लोगों ने बताया कि लुटेरे अक्सर जय माओ यानी नक्सल को बढ़ावा देने का नारा लगाते थे। ये एक कोशिश थी गैंग की पुलिस का ध्यान भटकाने की। इसके अलावा जो सोना यहां से चोरी हुई उसमें से एक किलो सोना कुछ दिन बाद हैदराबाद के एक होटल से पुलिस को बरामद हुआ।
पुलिस के पास कोई खास क्लू नहीं थी लेकिन बावजूद इसके युद्ध स्तर पर इस काम को किया गया। उस बैंक के पास के मोबाइल टावर से घटना वाली रात के फोन काल्स जांच की गई। करीब 2 लाख कॉल्स के बीच आरोपी की फोन्स को पहचानना मुश्किल था। आईटी प्रोफेशन्ल्स और टेलीफोन कंपनियों की मदद से आखिरकार पुलिस ने वो नंबर पहचान लिया जो आरोपी के पास था। ये पुलिस के लिए बहुत बड़ा क्लू था और इसी की मदद से करीब डेढ़ महीने बाद पुलिस कोडिकोड के एक घर से चार आरोपियों को गिरफ्तार किया।
दो महीने तक जोसेफ और उसके तीनों साथी पुलिस से बचते रहे। उन्होंने पुलिस को देश के अलग-अलग हिस्सों से फोन भी किया ताकी सही लोकेशन का पता न चल पाए लेकिन केरल पुलिस ने बेहद समझारी के साथ राज्य की सबसे बड़ी लूट का पर्दाफाश किया। 28 फरवरी आधिकारिक तौर पर एडीजी ने इस लूट को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बताया कि आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया और सारा पैसा और सोना भी वापस मिल गया है।
(नोट: स्टोरी में लिखे गए लुटेरों के नाम सिर्फ काल्पनिक हैं)
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