कुढ़नी उपचुनाव से पहले 'BBS' में सियासी ब्रेकअप, ना काहू से दोस्ती, न काहू से बैर की राह पर चला संगठन

बिहार में कुढ़नी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव को लेकर सियासत जारी है। चुनाव मैदान में बीजेपी, महागठबंधन के अलावा वीआईपी और ओवैसी की पार्टी भी ताल ठोक रहे हैं। इस बीच मुजफ्फरपुर जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है। ये खबर खासकर बीजेपी के लिए चिंता का विषय है। उपचुनाव से पहले एक फ्रंट टूट कर विखर गया है।

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हाइलाइट्स

  • कुढ़नी उपचुनाव से पहले सियासी ब्रेकअप
  • भूमिहार वोटों को लेकर आपस में बंटे नेता
  • नीलाभ को सपोर्ट या बीजेपी को समर्थन ?
पटना : बिहार की सियासत में जातीय समीकरण का खेल बहुत पुराना है। कोई भी राजनीतिक दल हो, उसकी कोशिश होती है कि जातीगत समीकरण को पहले साध लिया जाए। कुछ ऐसा ही चल रहा है कुढ़नी विधानसभा सीट पर। जहां भूमिहार वोटों को साधने में सभी पार्टियां जुटी हुई हैं। वीआईपी ने तो बकायदा भूमिहार युवा नीलाभ को टिकट ही दे दिया है। जिससे लड़ाई काफी रोचक हो गई है। स्थिति ये है कि कुढ़नी में भूमिहार वोट बंटते हुए दिख रहे हैं। इसका ताजा प्रमाण तब मिला,जब उपचुनाव से पहले भूमिहार वोटरों को एक करने वाला संगठन टूट कर बिखर गया। उसमें शामिल सभी स्थानीय नेता अलग हो गए।

संगठन में टूट से बीजेपी को घाटा
पूरी बात समझने से पहले हम आपको बोचहां में हुए उपचुनाव की तरफ लेकर चलते हैं। बोचहां उपचुनाव से पहले जिले के कद्दावर राजनीतिक नेता पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा और बिहार सरकार में पूर्व परिवहन मंत्री रहे अजीत कुमार ने भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट का गठन किया। ये फ्रंट भूमिहार वोटों के मूवमेंट को तय करता था। इसे इसी उद्देश्य से बनाया गया था कि भूमिहार वोटरों को गोलबंद किया जा सके। खबर ये है कि ये संगठन पूरी तरह टूट कर बिखर गया है। बुधवार को मुजफ्फरपुर में आयोजित भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट कोर कमिटी की बैठक में सर्वसम्मति से कुढ़नी उपचुनाव में वीआईपी प्रत्याशी नीलाभ कुमार को समर्थन देने का निर्णय लिया गया।

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नीलाभ को समर्थन
बैठक में सर्वसम्मति से ये भी निर्णय लिया गया कि नीलाभ कुमार को संगठन तन, मन और धन से मदद करेगा। बैठक में संगठन के अध्यक्ष पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा नदारद रहे। कार्यकारी अध्यक्ष पूर्व मंत्री अजीत कुमार ने कहा कि संगठन अपने सिद्धांत ना काहू से दोस्ती न काहू से बैर पर अमल करते हुए भूमिहार समाज को सम्मान देने वाली पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला किया है। बैठक में वरीय उपाध्यक्ष पूर्व विधायक प्रकाश राय, डॉक्टर श्यामनंदन शर्मा, महासचिव ब्रिगेडियर प्रवीण कुमार, धर्मवीर शुक्ला सहित जिले से आये फ्रंट के पदाधिकारी मौजूद रहे।

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भूमिहार वोट बंटे
इधर, भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट के अध्यक्ष पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा है कि फ्रंट अपने मूल सिद्धांत से भटक गया है। फ्रंट ने कुढ़नी उपचुनाव में वीआईपी प्रत्याशी नीलाभ कुमार को समर्थन देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि सिर्फ जाति देखकर फैसला करना उचित नहीं है। जीतने की क्षमता भी होना चाहिए। सुरेश शर्मा ने कहा कि बुधवार को हुए निर्णय से फ्रंट के कई पदाधिकारी नाराज हैं। उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी केदार गुप्ता का ही समर्थन करने की अपील अपने समाज के लोगों से की। फ्रंट के टूटने से एक बात साफ हो गई है कि कुढ़नी में बीजेपी को जीत के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। फ्रंट की अपील पर भूमिहार वोट बंट जाएंगे और इसका सीधा फायदा महागठबंधन को होगा। यदि भूमिहार वोट एक हो जाते हैं, तब नीलाभ कुमार की जीत तय होगी।

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फ्रंट में टूट
भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट के टूटने से और इसके सदस्यों में फूट पड़ने से इलाके के महागठबंधन के कार्यकर्ता काफी खुश हैं। उनका मानना है कि अजीत कुमार वैसे भी सुरेश शर्मा को पसंद नहीं करते हैं। सुरेश शर्मा बीजेपी के कद्दावर नेता हैं और वे पार्टी लाइन से कतई बाहर नहीं जाएंगे। स्थानीय लोगों का मानना है कि सुरेश शर्मा ने अजीत कुमार की अपील के बाद साफ कर दिया है कि भूमिहारों को सिर्फ जाति देखकर वोट नहीं करना है। पार्टी ने केदार गुप्ता को टिकट दिया है। केदार गुप्ता जीतने वाले उम्मीदवार हैं। उन्हें समर्थन करना चाहिए। वहीं, दूसरी ओर फ्रंट टूटने से सबसे ज्यादा फायदा नीलाभ कुमार को होता दिख रहा है। स्थानीय जानकार कहते हैं कि पहले से नीलाभ के पास भूमिहार वोट थे, अब फ्रंट का समर्थन मिलने से नीलाभ की जीत तय है।
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