27 अगस्त को नए मुख्य न्यायाधीश बनेंगे जस्टिस यूयू ललित, बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट जज बनने वाले दूसरे सीजेआई होंगे

पिछले साल 24 अप्रैल को 48वें सीजेआई के रूप में शपथ लेने वाले न्यायमूर्ति रमण अपने 16 महीने का कार्यकाल पूरा करने के बाद 26 अगस्त को सेवानिवृत्त होंगे। सीजेआई ने गत तीन अगस्त को कानून मंत्रालय से इस आशय का एक पत्र प्राप्त करने के बाद अपने उत्तराधिकारी के रूप में न्यायमूर्ति ललित की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की थी।

Justice UU Lalit will be second CJI to be directly elevated from the Bar
NV Ramana formally recommends Justice UU Lalit's name as his successor.
नयी दिल्ली: न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित देश के दूसरे ऐसे प्रधान न्यायाधीश होंगे जो बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट की पीठ में पदोन्नत हुए।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज उनके नियुक्ति लेटर पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद न्यायमूर्ति ललित को बुधवार को भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में नियुक्त किया गया। उनसे पहले न्यायमूर्ति एस. एम. सीकरी मार्च 1964 में शीर्ष अदालत की पीठ में सीधे पदोन्नत होने वाले पहले वकील थे। वह जनवरी 1971 में 13वें सीजेआई बने थे।

27 अगस्त से संंभालेंगे कार्यभार
न्यायमूर्ति ललित मौजूदा प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन. वी. रमण के सेवानिवृत्त होने के एक दिन बाद 27 अगस्त को कार्यभार संभालेंगे। न्यायमूर्ति ललित का सीजेआई के रूप में तीन महीने से भी कम का संक्षिप्त कार्यकाल होगा और वह इस साल आठ नवंबर को रिटायर होंगे। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है। न्यायमूर्ति ललित को 13 अगस्त 2014 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। तब वह वरिष्ठ अधिवक्ता थे।


कई बड़े फैसलों के हिस्सा रहे यूयू ललित
वह मुसलमानों में ‘तीन तलाक’ की प्रथा को अवैध ठहराने समेत कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अगस्त 2017 में 3 : 2 के बहुमत से ‘तीन तलाक’ को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। उन तीन न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति ललित भी थे। जनवरी 2019 में, उन्होंने अयोध्या में राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

सुबह 9 बजे बैठने की कही थी बात
मामले में एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने संविधान पीठ को बताया था कि न्यायमूर्ति ललित उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के वकील के रूप में एक संबंधित मामले में वर्ष 1997 में पेश हुए थे। हाल ही में, न्यायमूर्ति ललित की अध्यक्षता वाली एक पीठ मामलों की सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत के सामान्य समय से एक घंटे पहले सुबह 9.30 बजे बैठी थी। न्यायमूर्ति ललित ने कहा था कि मेरे विचार से आदर्श रूप से हमें सुबह नौ बजे बैठना चाहिए। मैंने हमेशा कहा है कि अगर हमारे बच्चे सुबह सात बजे स्कूल जा सकते हैं, तो हम नौ बजे क्यों नहीं आ सकते।

कैसा रहा उनका सफर
उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत एक मामले में बंबई उच्च न्यायालय के ‘‘त्वचा से त्वचा के संपर्क’’ संबंधी विवादित फैसले को खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि यौन हमले का सबसे महत्वपूर्ण घटक यौन मंशा है, बच्चों की त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं। नौ नवंबर, 1957 को जन्मे न्यायमूर्ति ललित ने जून 1983 में वकील बने और दिसंबर 1985 तक बंबई उच्च न्यायालय में वकालत की थी। वह जनवरी 1986 में दिल्ली आकर वकालत करने लगे और अप्रैल 2004 में, उन्हें शीर्ष अदालत द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सुनवाई के लिए उन्हें केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था।

पिछले साल 24 अप्रैल को 48वें सीजेआई के रूप में शपथ लेने वाले न्यायमूर्ति रमण अपने 16 महीने का कार्यकाल पूरा करने के बाद 26 अगस्त को सेवानिवृत्त होंगे। सीजेआई ने गत तीन अगस्त को कानून मंत्रालय से इस आशय का एक पत्र प्राप्त करने के बाद अपने उत्तराधिकारी के रूप में न्यायमूर्ति ललित की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की थी। शीर्ष अदालत के एक अधिकारी ने एक बयान में कहा कि भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन. वी. रमण ने न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित को भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश नियुक्त होने पर आज बधाई दी और उनकी नियुक्ति 27 अगस्त 2022 से प्रभावी होगी।

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