उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा छोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार योगी सरकार पर हमलावर हैं। आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य को योगी आदित्यनाथ की सरकार में भाजपा ने मंत्री भी बनाया था। समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार भाजपा पर हमलावर हैं। समाजवादी पार्टी की स्टार प्रचारकों की सूची में स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम भी शामिल है और यही वजह है कि वह लगातार सपा प्रत्याशियों के समर्थन में चुनावी सभा को संबोधित कर रहे हैं। अपने चुनावी सभाओं में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार पर हमला बोल रहे हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार से जनता से समाजवादी पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा झूठे और मक्कार लोगों की पार्टी बनकर रह गई है। इसके साथ ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने दावा किया कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की उत्तर प्रदेश की विदाई होने जा रही है। स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार भाजपा सरकार पर दलितों और पिछड़ों के साथ अन्याय करने का आरोप लगा रहे हैं। इतना ही नहीं, वह रोजगार को लेकर भी भाजपा सरकार पर हमलावर हैं स्वामी का आरोप है कि नौकरी सिर्फ अपने लोगों को दी जा रही है। भाजपा की नीति से व्यापारी त्रस्त है। सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी को गुजरात के ही व्यापारी दिखाई देते हैं।मा. प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा नमक खाने के एवज में वोट मांगना न केवल गरीबों का अपमान है अपितु लोकतंत्र की कीमत भी। क्या उन्हें नहीं मालूम कि वह जो नमक या कुछ भी खाते हैं वह भी देश की जनता की गाढ़ी कमाई का ही है। यदि उन्हें नमक की कीमत पता होता तो सरकारी संस्थानों को बेचते नहीं।
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) February 21, 2022
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योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने दावा किया कि भाजपा सरकार के नौजवान और किसान परेशान हैं। भाजपा आरक्षण की विरोधी है और इस सरकार का पाप का घड़ा भर चुका है। इसके साथ ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर भी ट्वीट किया। अपनी ट्वीट में स्वामी प्रसाद मौर्य ने लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा नमक खाने के एवज में वोट मांगना न केवल गरीबों का अपमान है अपितु लोकतंत्र की कीमत भी। क्या उन्हें नहीं मालूम कि वह जो नमक या कुछ भी खाते हैं वह भी देश की जनता की गाढ़ी कमाई का ही है। यदि उन्हें नमक की कीमत पता होता तो सरकारी संस्थानों को बेचते नहीं।
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