नयी दिल्ली, भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से रत्न एवं आभूषण जैसे करीब 26 अरब डॉलर मूल्य के घरेलू उत्पादों को फायदा मिलने की संभावना है। इन पर अभी खाड़ी देश में पांच प्रतिशत आयात शुल्क लगाया जाता है। एक अधिकारी ने भारत-यूएई एफटीए से जुड़े लाभों को रेखांकित करते हुए कहा कि इस करार से श्रम-गहन क्षेत्रों मसलन कपड़ा, चमड़ा, जूते-चप्पल, खेल का सामान, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि और लकड़ी के उत्पाद, इंजीनियरिंग, फार्मास्युटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों तथा वाहन जैसे उद्योगों को काफी लाभ होगा।
अधिकारी ने कहा कि सेवा क्षेत्र की बात की जाए, तो इस करार से कंप्यूटर से संबंधित सेवाएं, ऑडियो-विजुअल, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, यात्रा, नर्सिंग, इंजीनियरिंग और लेखा सेवाओं को भी प्रोत्साहन मिलेगा। भारत और यूएई ने 18 फरवरी को वृहद आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) पर हस्ताक्षर किए थे। इसका उद्देश्य पांच साल की अवधि में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 100 अरब डॉलर तक पहुंचाना और लाखों रोजगार के अवसरों का सृजन करना है। अधिकारी ने कहा, यूएई पहले से ही भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है।
2019-20 में यूएई को भारत का निर्यात लगभग 29 अरब डॉलर रहा था। यूएई के साथ सीईपीए से लगभग 26 अरब डॉलर मूल्य के भारतीय उत्पादों को लाभ होने की संभावना है। इन उत्पादों पर यूएई में पांच प्रतिशत का आयात शुल्क लगता है। अनुमानों के अनुसार, 2023 में सोने और स्वर्ण-जड़ित आभूषणों का निर्यात बढ़कर 10 डॉलर हो जाएगा और भारत द्वारा सोने जैसे उत्पादों में यूएई को दी जाने वाली शुल्क रियायतों से उत्पादन सामग्री के आयात लागत कम हो जाएगी। अगले पांच वर्षों में कपड़ा निर्यात में दो डॉलर की अतिरिक्त वृद्धि का अनुमान है।
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