नेपाल ने चीन को किया शर्मिंदा, 'मेड इन चाइना' के 6 जहाजों को कहा 'कबाड़'

भारत में 'मेड इन चाइना' का मतलब है एक ऐसा प्रोडक्ट जो न केवल सस्ता होता है, बल्कि उसकी क्वालिटी भी घटिया होती है। यही कारण है कि भारत में 'मेड इन चाइना' प्रोडक्टस को महत्व नहीं दिया जाता है, खासकर तब सब सुरक्षा से जुड़े मुद्दे हो। ये बात अब श्री लंका के बाद नेपाल को भी समझ आ गई है 'मेड इन चाइना' को भारतीय क्यों सस्ता और घटिया कहते हैं। नेपाल ने कर्ज लेकर चीन से 6 हवाई जहाज खरीदे थे और अब ये जहाज उसके लिए बोझ बन गए हैं। इनसे नेपाल को कमाई हो न हो पर रखरखाव में उसने पानी की तरह पैसा बहाया। अब नेपाल ने इन जहाजों को अयोग्य करार देते हुए कबाड़ करार दिया है जो चीन के लिए किसी शर्म से कम नहीं है।

नेपाल की एयरलाइन ने क्या कहा?

एक अंग्रेजों अखबार से बातचीत में नेपाल एयरलाइन से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, “हमें इन विमानों के संचालन में तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्पेयर पार्ट्स आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं और विमानों की मरम्मत करना महंगा और समय लेने वाला होता है। इन विमानों को चलाने के लिए विशिष्ट कौशल वाले पायलटों की आवश्यकता होती है जिनकी हमारे पास कमी है। चीन में पायलट हैं लेकिन भाषा की बाधा के कारण नेपाल में पायलटों का प्रशिक्षण संभव नहीं है।"

अधिकारी ने आगे जानकारी देते हुए कहा, “हमने मदद के लिए चीन से संपर्क किया, लेकिन उनकी ओर से कोई प्रातक्रिया देखने को नहीं मिली। नेपाली पायलटों को प्रशिक्षण देने पर चर्चा करने के लिए नेपाल एयरलाइंस के निदेशक मंडल की रोजाना बैठक होती है, लेकिन हमें अभी इस पर निर्णय लेना बाकी है।”

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नेपाल की एयरलाइन को सहना पड़ा घाटा

दरअसल, नेपाल एयरलाइंस ने चीन में बने छह विमानों के उड़ान पर रोक लगा दी है। नेपाल का कहना है ये जहाज उड़ाने योग्य नहीं है, क्योंकि इनपर कमाई से अधिक वहन का खर्च आ रहा है। चीनी विमानों से नेपाल की एयरलाइन को काफी घाटा सहना पड़ा है। नेपाल की एयरलाइन का कहना है कि वो इन विमानों को उड़ाने का जोखिम नहीं उठा सकते इसलिए इनके संचालन को बंद कर दिया गया।

केवल चीन ने कमाया लाभ

नेपाल एयरलाइंस ने कई बार कहा है कि 2014 और 2018 के बीच अधिग्रहण के बाद से चीनी निर्मित विमानों के कारण भारी नुकसान हो रहा था। अब आगे और अधिक नुकसान को वो नहीं झेलना चाहता इसलिए इसके संचालन को ही बंद कर दिया गया।

नेपाल ने इन जहाजों को खरीदने के लिए जो कर्ज लिया था उसका भुगतान करने के लिए भी वो संघर्ष कर रहा है। चीन से लिए विमान से केवल चीन को ही फायदा हुआ है, जबकि नेपाल को केवल और केवल घाटा ही सहना पड़ा है।

नेपाल ने कर्ज लेकर चीन से खरीदा 6 हवाई जहाज

नेपाल ने कर्ज लेकर वर्ष 214 में 6 चीनी विमान, 2 जियान MA60S और 4 हार्बिन Y12S विमान खरीदे थे। नेपाल सरकार ने इन जहाजों के लिए चीनी पक्ष को 1.5 फीसदी की वार्षिक ब्याज दर तो चुकानी ही है। इसके अलावा वित्त मंत्रालय द्वारा इसके लिए जो कुल ऋण राशि ली गई है उसका भी 0.4 सेवा शुल्क व प्रबंधन व्यय भी नेपाल सरकार को चीन को चुकाना है। इन विमानों के साथ ही कई चीनी जहाजों का संचालन नेपाल ने वर्ष 2020 में बंद कर दिया था।

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