सिनेमा में जितनी जरूरत एक हीरो की होती है, उतनी ही जरूरत एक विलेन की भी होती है या यूं कहें कि बिना विलेन के हीरो का क्या काम इसलिए इंडस्ट्री में जितना मान-सम्मान हीरो ने कमाया है उतना ही विलेन ने भी कमाया है। इंडस्ट्री ने भी एक से बढ़कर एक विलेन दिए हैं। विलेन की लिस्ट में ऐसे कई नाम हैं जिन्होंने काफी नाम और शोहरत कमाई है। इसी लिस्ट में शुमार हैं एक्टर मनमोहन।
28 जनवरी 1933 को जमशेदपुर में पैदा हुए मनमोहन ने विलेन के रोल में काफी शोहरत हासिल की थी। उन्होंने सिर्फ हिंदी ही नहीं बल्कि बंगाली, गुजराती और पंजाबी फिल्मों में भी काम किया था। बचपन से ही मनमोहन को एक्टिंग का शौक था, इसलिए उन्होंने मुम्बई का रुख किया था। मनमोहन के बारे में कहा जाता है कि मनोज कुमार, शक्ति सामंत और प्रमोद चक्रवर्ती कोई फिल्म बनाते थे तो उनसे बिना पूछे ही अपनी फिल्मों में रोल दे देते थे।
मनमोहन ने बतौर खलनायक फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा सिक्का जमाया था कि एक ही महीने में एक या दो नहीं बल्कि पूरी 14 फिल्में रिलीज हुई थीं। दरअसल उनके बारे में कहा जाता है कि वे कभी किसी को काम के लिए मना नहीं कर पाते थे। उनके करीबी बताते थे कि उन्हें बचपन से ही एक्टिंग का बड़ा शौक था। मनमोहन के भतीजे विनय ने एक बार मीडिया को बताया था कि ‘जमशेदपुर में साकची के आम बागान में उस दौर के मशहूर कॉमेडी एक्टर मुकरी, टुनटुन का एक प्रोग्राम होना था। वहां एक होटल में ये टीम ठहरी हुई थी।
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इसकी जानकारी जब मनमोहन को मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। एक्टिंग के शौकीन मनमोहन होटल पहुंच गए और इन मशहूर कलाकारों की खूब खातिरदारी की। मनमोहन के इस एक्ट से सभी लोग इतना खुश हो गए थे कि अपने साथ ही मुंबई लेकर चले गए। फिर क्या था मनमोहन ने ‘शहीद’, ‘जानवर’, ‘गुमनाम’, ‘अराधना’, ‘हमजोली’, ‘क्रांति’, ‘अमर प्रेम’ जैसी फिल्मों में शानदार अदाकारी का जबरदस्त सिक्का जमाया लिया था।
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उनकी बारे में ये भी कहा जाता है कि मशहूर सुपर स्टार राजेश खन्ना की लगभग हर फिल्म में मनमोहन का किरदार होता था। 26 अगस्त 1979 को मनमोहन का निधन हो गया था. जब तक रहे शान की जिंदगी जिए।
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