लिपजिग। अफगानिस्तान (Afghanistan) के एक पूर्व मंत्री अब जर्मनी में एक डिलिवरी बॉय का काम रहे हैं। बीते दिनों आई एक रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान के पूर्व सूचना और संचार मंत्री सैयद अहमद शाह सआदत (Sayed Sadaat) को जर्मनी (Germany) के लीपजि़ग शहर में एक स्थानीय पत्रकार ने देखा, जब वह अपनी साइकिल से किसी के घर खाना पहुंचाने जा रहे थे।
2018 में सआदत राष्ट्रपति (अब निर्वासित) अशरफ गनी की सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल थे। दो साल की सेवा के बाद सआदत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और बीते दिसंबर में जर्मनी में आ पहुंचे।
नौकरी में कोई शर्म की बात नहीं
सआदत ने बताया कि भ्रष्टाचार के कारण उन्होंने ये पद छोड़ दिया। अब जर्मनी में सैयद सदावत साइकिल कूरियर के रूप में भोजन पहुंचाने का काम कर गुजारा कर रहे हैं। उन्हें हर दिन छह घंटे काम करना पड़ता है। शनिवार और रविवार को दोपहर से रात 10 बजे तक वह डिलिवरी पहुंचाते हैं। उनका कहना है कि "नौकरी में कोई शर्म की बात नहीं है। उन्होंने कहा, काम काम है। उन्होंने कहा, किसी न किसी को यह करना है।
ये भी पढ़ें: तालिबान का भारत को लेकर बड़ा बयान, जैश और लश्कर जैसे आतंकी संगठनों को भी दिया झटका
4 हजार अफगानियों को बाहर निकालने की कोशिश
सआदात उन हजारों अफगानियों में से एक है, जिन्हें पिछले वर्षों में जर्मनी में एक घर मिला है। 2015 के बाद से, जब यूरोप ने ज्यादातर सीरिया और इराक से युद्ध से भागने वाले लोगों की भारी आमद देखी, तो लगभग 210,000 अफगानियों ने जर्मनी में शरण मांगी थी। आज अफगानी इस देश में सीरिया के बाद दूसरा सबसे बड़ा ग्रुप है। वहीं अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद से यहां से 4 हजार अफगानियों को बाहर निकालने की कोशिश हो रही है।
सदात की जर्मनी की यात्रा में कई परेशानियां सामने आईं। वह 2016 से 2018 तक अफगानिस्तान में संचार मंत्री रहे। लेकिन 50 वर्षीय सआदत ने कहा कि उन्होंने अपना पद छोड़ दिया क्योंकि वह सरकार में भ्रष्टाचार से तंग आ चुके थे। उन्होंने बताया, "एक मंत्री के रूप में काम करते समय राष्ट्रपति के करीबी लोगों और खुद के बीच उनके मतभेद थे।
"उनकी मांगें निजी लाभ के लिए थीं, मैं चाहता था कि सरकारी परियोजनाओं के लिए पैसा ठीक से लागू किया जाए। इसलिए मैं उनकी मांगों को पूरा नहीं कर सका और फिर उन्होंने मुझे धक्का देने की कोशिश की, राष्ट्रपति की ओर से मुझ पर दबाव डाला गया था।"
दूरसंचार क्षेत्र में कंसल्टेंसी की नौकरी संभाली
इसके बाद उन्होंने अफगानिस्तान में दूरसंचार क्षेत्र में कंसल्टेंसी की नौकरी संभाली। उन्होंने कहा, लेकिन 2020 तक सुरक्षा की स्थिति खराब हो गई थी। सआदत ने बताया कि इसलिए उन्होंने देश को छोड़ने का फैसला लिया। एक दोहरे अफगान-ब्रिटिश नागरिक के रूप में, उन्होंने ब्रेक्सिट से पहले 2020 के अंत में जर्मनी जाने का फैसला किया, जिससे ब्रिटेन के लिए रोजगार की पेशकश जैसी शर्तों के बिना यूरोपीय संघ में निवास प्राप्त करना संभव नहीं रह गया।
ये भी पढ़ें: पहली बार किसी महिला पत्रकार ने तालिबान का लिया था इंटरव्यू, कुछ ही दिन बाद छोडऩा पड़ा अफगानिस्तान
कोरोनावायरस महामारी के कारण जर्मन सीखने की योजनाओं में देरी हुई। लेकिन अब वह फूड डिलिवरी कंपनी लिफरेंडो के लिए डिलिवरी का काम कर रहे हैं। इसके लिए वे दिन में चार घंटे भाषा की कक्षाएं ले रहे हैं। नौकरी में उन्हें 15 यूरो एक घंटे के लिए भुगतान होता है। उनका कहना है कि 420 यूरो एक महीने के किराए सहित उनके रहने के खर्च के लिए पर्याप्त है। सआदत ने कहा कि उन्हें जर्मनी जाने के अपने फैसले पर अफसोस नहीं है।
Posted from: this blog via Microsoft Power Automate.

Post a Comment