इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) इन दिनों पूरी दुनिया में तालिबान को मान्यता दिलाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाहर महमूद कुरैशी और अन्य राजनेता दूसरे देशों की यात्रा कर रहे हैं। ऐसे में पाक की एक टिप्पणी को लेकर बड़ा बवाल मच गया है। बाद में पाक सरकार ने इस पर सफाई दी है। उसका कहना है कि साक्षात्कार में गलत व्याख्या की गई।
पाक एनएसए के इंटरव्यू से मचा बवाल
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोईद यूसुफ (Moeed Yousuf) ने पहले तालिबान की हिमायत की। इसके बाद उससे पूरी तरह से मुकर गए। एनएसए के अनुसार पश्चिमी देशों ने तालिबान को अगर मान्यता नहीं दी तो अमरीका में 9/11 जैसे हमले दोबारा हो सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस साक्षात्कार के बाद अब पाक एनएसए कार्यालय इस पर सफाई दे रहा है। इसमें बयान की खराब व्याख्या को वापस लेने की मांग की गई है।
एनएसए ने द टाइम्स को दिया था इंटरव्यू
पाक एनएसए के कार्यालय के अनुसार 28 अगस्त, 2021 को द टाइम्स में प्रकाशित "वर्क विद द तालिबान ऑर रिपीट द हॉरर ऑफ द 1990 वेस्ट टॉल्ड" शीर्षक वाली लेख में एनएसए डॉ मोईद यूसुफ के साक्षात्कार में एनएसए ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा था। उनके बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया है। यह विवाद ऐसे समय में आया है ,जब अधिकांश विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान की ताकत के पीछे पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है। पाकिस्तान ने आतंकवादियों को लंबे समय तक संरक्षण देकर अफगानिस्तान सरकार के साथ छद्म युद्ध छेड़ा हुआ था। हाल में पाक के पीएम इमरान खान के भी तालिबान के पक्ष में कई बयान आए थे।
मोईइ युसूफ ने कहा था कि यदि नब्बे के दशक की गलतियों को फिर से दोहराया जाता है और अफगानिस्तान को छोड़ दिया जाता है तो परिणाम बिल्कुल वही होने वाले हैं। एनएसए के कार्यालय ने ब्रिटिश प्रकाशन की कहानी को पत्रकार लैम्ब और यूसुफ के बीच हुई बातचीत पर गलत व्याख्या करार दिया।
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